Romantic Shayari

 Romantic Shayari in Hindi 


चाहत हुई किसी से तो फिर बेइन्तेहाँ हुई,

चाहा तो चाहतों की हद से गुजर गए,

हमने खुदा से कुछ भी न माँगा मगर उसे,

माँगा तो सिसकियों की भी हद से गुजर गये।

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कुछ ख़ास जानना है तो प्यार कर के देखो,

अपनी आँखों में किसी को उतार कर के देखो,

चोट उनको लगेगी आँसू तुम्हें आ जायेंगे,

ये एहसास जानना है तो दिल हार कर के देखो।

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मोहब्बत एक खुशबू है हमेशा साथ रहती है,

कोई इंसान तन्हाई में भी कभी तन्हा नहीं रहता।

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मोहब्बत क्या है चलो दो लफ़्ज़ों में बताते हैं,

तेरा मजबूर करना और मेरा मजबूर हो जाना।

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अनजान सी राहों पर चलने का तजुर्बा नहीं था,

इश्क़ की राह ने मुझे एक हुनरमंद राही बना दिया।

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तेरे खामोश होंठों पर मोहब्बत गुनगुनाती है,

तू मेरा है मैं तेरा हूँ बस यही आवाज़ आती है।

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मुझे मालूम है मेरे मुकद्दर में तुम नहीं लेकिन,

मेरी तक़दीर से छुप कर एक बार मेरे हो जाओ।

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सिर्फ एक बार आओ दिल में देखने मोहब्बत अपनी,

फिर लौटने का इरादा हम तुम पर छोड़ देंगे।

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मुहब्बत मेरी भी बहुत असर करती है,

याद आएंगे बहुत जरा भूल के देखो।

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सदियों का रतजगा मेरी रातों में आ गया,

मैं एक हसीन शख्स की बातों में आ गया।

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तेरे ख्याल में जब बेख्याल होता हूँ,

जरा सी देर को ही सही बेमिसाल होता हूँ।

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लोग देखेंगे तो अफ़साना बना डालेंगे,

यूँ मेरे दिल में आओ कि आहट भी ना हो।

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तेरा ज़िक्र तेरी फ़िक्र तेरा एहसास तेरा ख्याल,

तू खुदा तो नहीं फिर हर जगह क्यों है।

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मुश्किल नहीं था इश्क़ की बाज़ी को जीतना,

बस जीतने के खौफ से खुद को हारे चले गए।

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बहुत वक़्त लगा हमें आप तक आने में,

बहुत फरियाद की खुदा से आपको पाने में,

कभी तुम यह दिल तोड़ कर मत जाना,

हमने उम्र लगा दी आप जैसा सनम पाने में।

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आँख तो प्यार में दिल की ज़ुबान होती है,

सच्ची चाहत तो सदा बे-ज़ुबान होती है,

प्यार में दर्द भी मिले तो क्या घबराना,

सुना है दर्द से ही चाहत और जवान होती है।

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कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है,

कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है,

पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से,

तो प्यार जीने की वजह बन जाता है।

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नजाकत ले के आँखों में,

वो उनका देखना तौबा,

या खुदा हम उन्हें देखें

कि उनका देखना देखें।

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तुम फिर उसी अदा से

अंगड़ाई ले के हँस दो,

आ जाएगा पलट कर

फिर गुज़रा हुआ ज़माना।

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कुछ दूर हमारे साथ चलो

हम दिल की कहानी कह देंगे,

समझे ना जिसे तुम आँखों से

वो बात जुबानी कह देंगे।

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पहली मोहब्बत थी और हम दोनों ही बेबस,

वो ज़ुल्फ़ें सँभालते रहे और मैं खुद को।

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मुद्दत के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझे,

कदमों की क्या बिसात थी साँसे ठहर गयीं।

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हाल तो पूछ लूँ तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी,

जब जब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।

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दो चार लफ्ज़ प्यार के लेकर हम क्या करेंगे,

देनी है तो वफ़ा की मुकम्मल किताब दे दो।

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आप पहलू में जो बैठें तो संभल कर बैठें,

दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की।

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नहीं बसती किसी और की सूरत अब इन आँखो में,

काश कि हमने तुझे इतने गौर से ना देखा होता।

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मेरी निगाह-ए-शौक़ भी कुछ कम नहीं मगर,

फिर भी तेरा शबाब तेरा ही शबाब है।

वजह पूछोगे तो सारी उम्र गुजर जाएगी,

कहा ना अच्छे लगते हो तो बस लगते हो।

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पता नहीं लबों से लब कैसे लगा लेते हैं लोग,

तुमसे नजरें भी मिल जाये तो होश नहीं रहता।

आया था साथ ले के मोहब्बत की आफ़तें,

जाएगा जान ले के ज़माना शबाब का।

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तेरा प्यार मेरी जिंदगी में

बहार ले कर आया है,

तेरे आने से पहले हर दिन

पतझड़ हुआ करता था।

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साँसों की माला में पिरो कर,

रखे हैं तेरी चाहतों के मोती,

अब तो तमन्ना यही है कि,

बिखरूं तो सिर्फ तेरे आगोश में।

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तेरे नाम से मोहब्बत की है,

तेरे एहसास से मोहब्बत की है,

तू मेरे पास नहीं फिर भी,

तेरी याद से मोहब्बत की है।

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बस इतना ही कहा था कि बरसों के प्यासे हैं हम,

उसने होठों पे होंठ रख के खामोश कर दिया।

यार पहलू में है तन्हाई है... कह दो निकले,

आज क्यूँ दिल में छुपी बैठी है हसरत मेरी।

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मुझे उस जगह से भी मोहब्बत हो जाती है,

जहाँ बैठ कर एक बार तुम्हें सोच लेता हूँ।

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मजा आता अगर गुजरी हुई बातों का अफसाना,

कहीं से तुम बयाँ करते कहीं से हम बयाँ करते।

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मैं देखूँ तो सही यह दुनिया तुझे कैसे सताती है,

कोई दिन के लिए तुम अपनी निगहबानी मुझे दे दो।

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वो मोहब्बत के सौदे भी अजीब करता है,

बस मुस्कुराता है और दिल खरीद लेता है।

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खिड़की से झांकता हूँ मै, सबसे नज़र बचा कर

बेचैन हो रहा हूँ, क्यों घर की छत पे कर

क्या ढूँढता हूँ, जाने क्या चीज खो गई है,

इन्सान हूँ, शायद मोहब्बत हमको भी हो गई।

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अजब मौसम है मेरे हर कद़म पे फूल रखता है,

मोहब्बत में मोहब्बत का फरिश्ता साथ चलता है,

मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंठ रख देना,

यकीन जायेगा पलकों तले भी दिल धड़कता है।

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किताबों से दलील दूँ,

या खुद को सामने रख दूँ,

वो मुझ से पूछ बैठा है,

मोहब्बत किस को कहते हैं?

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यूँ भी तो राज़ खुल ही जायेगा,

एक दिन हमारी मोहब्बत का,

महफिल में जो हम को छोड़ कर,

सब को सलाम करते हो।

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तुम्हारी प्यार भरी निगाहों को,

देख ऐसा गुमान होता है,

देखो ना मुझे मदहोश नज़रों से,

कि दिल बेईमान होता है।

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पूछते हैं मुझसे की शायरी लिखते हो क्यों,

लगता है जैसे आईना देखा नहीं कभी।

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लाखों हसीन हैं इस दुनिया में तेरी तरह,

क्या करें हमें तो तेरी रूह से प्यार है।

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तुमको दे दी है इशारों में इजाज़त मैंने,

माँगने से मिल सकूं तो चुरा लो मुझको।

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जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए,

काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए।


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