Sad Shayari

 Sad Shayari in Hindi 


जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें,

उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।

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बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ,

मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है।

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बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की,

और हम ने रोते रोते दुपट्टे भिगो लिए।

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खामोशियाँ वही रही ता-उम्र दरमियाँ,

बस वक़्त के सितम और हसीन होते गए।

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मुद्दतें बीत गई ख्वाब सुहाना देखे,

जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा।

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हम पर जो गुजरी हैतुम क्या सुन पाओगे,

नाजुक सा दिल रखते होरोने लग जाओगे।

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मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,

हैं मौसम की तरह लोग... बदल जाते हैं,

हम अभी तक हैं गिरफ्तार--मोहब्बत यारों,

ठोकरें खा के सुना था कि संभल जाते हैं।

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काश वो समझते इस दिल की तड़प को,

तो हमें यूँ रुसवा  किया जाता,

यह बेरुखी भी उनकी मंज़ूर थी हमें,

बस एक बार हमें समझ तो लिया होता।

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अजब चिराग हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ,

थक गया हूँ मैं हवा से कहो बुझाए मुझे।

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अपनी जिंदगी अजीब रंग में गुजरी है,

राज किया दिलों पे और मोहब्बत को तरसे।

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बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था,

बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था।

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खुद आग दे के अपने नशेमन को आप ही,

बिजली से इन्तेकाम लिया है कभी-कभी।

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ऐसा लगता है कि वो भूल गया है हमको,

अब कभी खिड़की का पर्दा नहीं बदला जाता।

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ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती,

मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती,

कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता,

मुझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती।

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गुज़रे दिनों की भूली हुई बात की तरह,

आँखों में जागता है कोई रात की तरह,

उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो,

वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।

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एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है,

जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है,

मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी कुछ कम नहीं,

मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है।

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जीना तो पड़ेगा फ़क़त दुनियाँ को दिखाने के लिये,

वरना मैनें कब चाही थी उसके बगैर जिदंगी।

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मुमकिन है कि सदियों भी नजर आए सूरज,

इस बार अंधेरा मेरे अंदर से उठा है।

कभी तो अपना वजूद हम पर लुटा के देख,

क्यों दो कदम चलकर तेरा यकीन ठहर जाता है।

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तू रुठकर गया है तो मत  के मुझसे मिल,

मंज़र तेरी शिकस्त का मुझसे देखा  जाएगा।

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अब सोचते हैं लाएँगे तुझ सा कहाँ से हम,

उठने को उठ तो आए तेरे आस्ताँ से हम।

 

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कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे,

मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं।

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तेरी हालत से लगता है तेरा अपना था कोई,
इतनी सादगी से बरबाद कोई गैर नहीं करता।

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लुटा के हर चीज मंजिल--इश्क की राह में,
मैं हँस पड़ा हूँ आज खुद को बरबाद करके।

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बरबाद होकर यार के दिल में मिली जगह,
आबाद कर गई मेरी बरबादियाँ मुझे।

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फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है।

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वाह रे इश्क़ तेरी मासूमियत का जवाव नहीं,
हँसा कर करता है बर्बाद तू मासूम लोगो को।

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होता है जिस जगह मेरी बर्बादियों का जिक्र,
तेरा भी नाम लेती है दुनिया कभी-कभी।

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जाने किस तरह के हैं दुनिया के लोग भी,
प्यार भी प्यार से करते हैं और बर्बाद भी प्यार से।

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वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है
इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा।

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बिछड़ा इस कदर से के रुत ही बदल गयी,
एक शख्स सारे शहर को वीरान कर कर गया।

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कुछ इस अदा से तोड़े है ताल्लुक उसने,

एक मुद्दत से ढूंढ़ रहा हूँ कसूर अपना।

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हमसे एक रूठा हुआ शख्स भी मना,

लोग तो रूठी हुई तकदीर मना लेते हैं।

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एक सवाल छिपा है दिल के किसी कोने में,

कि क्या कमी रह गई थी तेरा होने में।

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खुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने,

बस एक शख्स को मांगा मुझे वही ना मिला।

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उसने इस कमाल से खेली इश्क़ की बाज़ी,

मैं अपनी फतह समझता रहा मात होने तक।

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एक ऐसी भी घड़ी इश्क में आयी थी हम तक,

खाक को हाथ लगाते तो सितारा करते।

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रोज कहता हूँ जाऊँगा कभी घर उसके,

रोज उस के कूचे में कोई काम निकल आता है।

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उसको चाहा तो

मोहब्बत की तकलीफ नजर आई,

वरना इस मोहब्बत की

बस तारीफ़ सुना करते थे।

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बस यही सोच कर

हर तपिश में जलता आया हूँ,

धूप कितनी भी तेज़ हो

समंदर नहीं सूखा करते।

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चेहरे अजनबी हो जाये

तो कोई बात नहीं,

मोहब्बत अजनबी होकर

बड़ी तकलीफ देती है।

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चल तुझको दिखा दूँ मैं

अपने दिल की वीरान गलियाँ,

शायद तुझको तरस  जाये

मेरी उदास जिंदगी पर।

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खुदा ने लिखा ही नहीं तुझको

मेरी किस्मत में शायद,

वरना खोया तो बहुत कुछ था

एक तुझे पाने के लिए।

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इतनी बेचैनी से तुमको किसकी तलाश है,

वो कौन है जो तेरी आंखों की प्यास है,

जबसे मिला हूं तुमसे यही सोचता हूं मैं,

क्यों मेरे दिल को हो रहा तेरा एहसास है,

जिंदगी के इस मोड़ पे तुम आके यूं मिले,

जैसे कि कोई मंजिल मेरे इतने पास है,

एक नजर की आस में तकता हूं मैं तुझे,

अब देख तेरे खातिर एक आशिक उदास है।

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उम्र भर खाली यूँ ही

दिल का मकाँ रहने दिया,

तुम गए तो दूसरे को

फ़िर  यहाँ रहने दिया,

उम्र भर उसने भी मुझ से

मेरा ग़म पूछा नहीं,

मैंने भी ख्वाहिशों को

अपनी बेज़बाँ रहने दिया।

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 दिल से मिले दिल तो सजा देते हैं लोग​,

प्यार के जज्बातों को डुबा देते हैं लोग,

दो इँसानो को मिलते कैसे देख सकते हैं,

साथ बैठे दो परिन्दो को उड़ा देते हैं लोग।

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भले ही राह चलते तू औरों का दामन थाम ले,

मगर मेरे प्यार को भी तू थोड़ा पहचान ले,

कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क़ में मैंने,

ज़रा इस दिल की बेताबी को भी तू जान ले।

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सुहाना मौसम और हवा में नमी होगी,

आँसुओं की बहती नदी थमी होगी,

मिलना तो हम तब भी चाहेंगे आपसे,

जब आपके पास वक़्त और

हमारे पास साँसों की कमी होगी।

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मेरी लड़खड़ाहट तुममुझ तक ही रहने दो,

जो बात होश की कर दीतो बेहोश हो जाओगे।

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मैं क़ाबिल--नफ़रत हूँ तो छोड़ दो मुझको,

यूं मुझसे दिखावे की मोहब्बत ना किया करो।

कभी जो मिलें फुरसत तो बताना जरूर,

वो कौन सी मौहब्बत थी जो मैं ना दे सका।

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तूने फैसले ही फासलेबढाने वाले किये थे,

वरना कोई नहीं थातुझसे ज्यादा करीब मेरे।

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नाम उसका ज़ुबान पर आते आते रुक जाता है,

जब कोई मुझसे मेरी आखिरी ख्वाहिश पूछता है।

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हमें भी याद रखें
जब लिखें तारीख गुलशन की,
कि हमने भी लुटाया है
चमन में आशियां अपना।

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बारिशें कुछ इस तरह से
होती रही मुझ पे,
ख्वाहिशें सूखती रही
और पलके भीगती रही।

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तेरी तलाश में निकलू भी तो
क्या फायदा...
तुम बदल गए हो
खो गए होते तो और बात थी।

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फरियाद कर रही है
यह तरसी हुई निगाह,
देखे हुए किसी को
ज़माना गुजर गया।

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