तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है,
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है।
कभी जो मुझे हक मिला अपनी तकदीर लिखने का
कसम खुदा की तेरा नाम लिख कर कलम तोड दूंगा।
कुछ इस तरह बुनेंगे हम अपनी तकदीर के धागे,
कि अच्छे अच्छो को झुकना पड़ेगा हमारे आगे।
कितने मज़बूर है हम तकदीर के आगे...
ना तुम्हे पाने की औकात रखते हैं और
ना तुम्हे खोने का हौसला।
मेरे ही हाथों पे लिखी है तकदीर मेरी,
और मेरी ही तकदीर पर मेरा बस नहीं चलता।