एक मुस्कान तू मुझे एक बार दे दे,
ख्वाब में ही सही एक दीदार दे दे,
बस एक बार कर दे तू आने का वादा,
फिर उम्र भर का चाहे इन्तजार दे दे।
क्यूँ वादा करके निभाना भूल जाते हैं,
लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं,
ऐसी आदत हो गयी है अब तो सनम की,
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं।
जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं,
वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं,
झूठा ही सही मेरे यार का वादा है,
हम सच मान कर ऐतबार करते हैं।
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