कोशिश हजार की कि इसे रोक लूँ मगर,
ठहरी हुई घड़ी में भी ठहरा नहीं ये वक्त।
उड़ जायेंगे तस्वीरों से रंगो की तरह हम,
वक़्त की टहनी पर हैं परिंदो की तरह हम।
वक़्त को भी हुआ है जरूर किसी से इश्क़,
जो वो बेचैन है इतना कि ठहरता ही नहीं।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।
यादें करवट बदल रही हैं
और मैं तनहा तनहा हूँ,
वक़्त भी जिससे रूठ गया है
मैं वो बेबस लम्हा हूँ।
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