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Wednesday 22 July 2020

कोशिश हजार की - वक़्त शायरी

कोशिश हजार की कि इसे रोक लूँ मगर,

ठहरी हुई घड़ी में भी ठहरा नहीं ये वक्त।

 

उड़ जायेंगे तस्वीरों से रंगो की तरह हम,

वक़्त की टहनी पर हैं परिंदो की तरह हम।

 

वक़्त को भी हुआ है जरूर किसी से इश्क़,

जो वो बेचैन है इतना कि ठहरता ही नहीं।

 

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,

आदत इस की भी आदमी सी है।

 

यादें करवट बदल रही हैं

और मैं तनहा तनहा हूँ,

वक़्त भी जिससे रूठ गया है

मैं वो बेबस लम्हा हूँ।


कुछ वक्त बुरा है - वक़्त शायरी

ना तो तुम बुरे सनम,

ना ही हम बुरे हैं,

कुछ किस्मत बुरी है और

कुछ वक्त बुरा है।

 

लोग कहते हैं वक्त किसी का गुलाम नही होता,

फिर क्यूँ थम सा जाता है ग़मों के दौर में?

 

ज़िन्दगी ने मेरे दर्द का क्या खूब इलाज सुझाया,

वक्त को दवा बताया ख्वाहिशों से परहेज़ बताया।

 

हाथ छुटे भी तो रिश्ते नही छूटा करते,

वक्त की शाख से लम्हे नही टूटा करते।

 

कुछ इस तरह से सौदा किया मुझसे मेरे वक़्त ने,

तजुर्बे देकर वो मुझसे मेरी नादानीयाँ ले गया।